एक लोककथा के मुताबिक प्रसिद्धि है कि जब बीकानेर के राजारायसिंह के छोटे भाई पृथ्वीराज को पता चला कि महाराणा प्रताप अकबर की अधीनता स्वीकार कर रहे है। तो उनसे रहा नही गया और उन्होंने राणा प्रताप को लिखा -
पाताल जो पातशाहबोले मुख हुन्तान बयन
मिहर पछम दिस मांह , उगे कासप राव उत । ।
पतकुं मुन्छां पाण , कै पतकुं निज तन करद
दीजे लिख दीवान , इस दो महली बात इक । ।
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