Wednesday, May 21, 2008

थाने कसिक लगी धरती धोरा री ?







भोपाल



हमारे सीनियर नितिन सर ने गत एक माह राजस्थान की राजधानी जयपुर मे बिताया हालांकि उन्होंने मुझे बताया की उन्हौने वहां बहुत एन्जॉय किया शहर को भले ज्यादा नहीं देखा तो भी अपने काम का पुरा मजा लिया कैसे तो आप ख़ुद देख लीजिये इन फ़ोटोस में। नितिन सर का राजस्थान का अनुभव कुछ ऐसा रहा। बाकि बतीं उनसे ही लिखवा ली जायेगी आपके लिए ।

Thursday, May 15, 2008

ये खून तोह धुल जाएगा मगर ..............................

जयपुर में हुए ब्लास्ट पर आज यहाँ के सारे अखबारों ने फोल्लो स्तोरिस दी है ।
दैनिक जागरण के भोपाल संस्करण ने आज अपने यहाँ के महानगर पेज का फ्रंट पांच कालम को दिया है हेडिंग है सुराग मिले दहशत पर पगर
इंदौर मैं बत्तीस , जयपुर मैं बारह संदिग्द्घ गिरफ्तार कर्फ्यू ।
भोपाल से ही नवभारत अपनी पांच कलम की स्टोरी मैं लिखता है इंडियन मुजाहिदों ने ली जिम्मेदारी टी वी चेइनालों को ईमेल से भेजी थी धमाके से पहले की तसवीरें वीडियो साथ ही इसने भी इंदौर में धरे गए बत्तीस लोगों का जिक्र किया ।
दी पायोनीर लिखता है एंग्री जयपुर कोपेस विथ पेन साथ ही फ्रंट पेज की एक अन्य स्टोरी मैं लिखा ग्रिएफ़ ओवेरपोवेरस पिंक सिटी ।
इसी प्रकार भोपाल से हाल ही शुरू नवदुनिया का फर्स्ट लीड हेडिंग था पड़ोसी देश की सजीश का संकेत साथ ही इंडियन मुजाहिदीन ने ली जिम्मेदारी को बयां किया साथ ही इन्होने मद्य प्रदेश के सी एम शिवराज सिंह चौहान की एम पी कोका की मंजूरी पर लिखा है एम पी कोका को मंजूरी दे ।
भोपाल के राज एक्सप्रेस साथ ही इस पत्र ने लिखा है और धमाकों की धमकी साथ ही पर लिखा है एमपी में तलाशी सतर्कता और अमेरिका ने बढाया हाथ को प्राथमिकता दी है । राज ने अपने सम्पादकीय में लिखा बंद करो ये रस्मी अदायगी हेडिंग से सवाल किया है क्यो भारत अब तक अफजल गुरु को फंसी नही दे सका है ?

हिंदू ने वसुन्धरा राजे के हॉस्पिटल डोरे का फोटो लगाया है हेडिंग है जायसवाल पड़ोसी देश पर आरोप लगाया । टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने हुजी को प्रमुख सस्पेक्ट माना है जनसत्ता ने घटना को तीन कालम में समेट दिया है । लिखा है जयपुर धमाकों के सिलसिले में आधा दर्जन संदिग्ध हिरासत मैं एक का स्क्रेच जारी ।

वहीं भोपाल के अपने प्रधान संस्करण में दैनिक भास्कर लिखता है दर्द जीतने में जुटा जयपुर साथ ही सभी बड़ी घटनाओ को स्थान दिया है धमाकों में हुजी के हाथ की आशंका सेना की तैनाती , गिरफ्तारी पन्द्रह इलाकों में कर्फ्यू बंगलादेश पर सुई सब लिखा है । साथ भास्कर ने सम्पादकीय में तलास्श्ने होंगे दहशत के सूत्र पर लिखा है ।

इन सब के बाद भी नव दुनिया ने जो फोटो लगाया है वो नया संदेश देने वाला है जिसमे दिखाया गया है की दमकल कर्मी फव्वारा चला रहा है,कैप्शन है खून तौ धुल जाएगा पर जख्म

Wednesday, May 14, 2008

जयपुर हादसे पर अखबारों ने लिखा

जयपुर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों ने इस शांत शहर को दहला कर रख दिया।इस घटना को सभी अखबारो ने अपने अपने तरीके से पेश किया है पेश है एक रिपोर्ट । मंगलवार शाम को हुए इन धमाकों से जुड़ी ख़बरें हिंदी और अंग्रेज़ी के लगभग सभी अख़बारों में छाई हुई रही ।

भोपाल के अखबार की सुखियाँ

नव भारत ने फर्स्ट लीड लगाई ग्यारह मिनिट आठ धमाके ,पिचहत्तर मरे इस समाचार के बावजूद भी एक तिहाई पहला पेज विज्ञापन है ।

वही पिछले कुछ दिनों से नए कलेवर के साथ आया नवदुनिया लिखता है धमाकों से दहला जयपुर कुल आधे पेज का कवरेज़ दिया गया है कहा है खून से लाल हुयी गुलाबी नगरी ।

द पयोनीर ने लिखा पिंक सिटी लाल हुयी साथ मरे इसी प्रकार इंग्लिश का एच टी लिखता है टेरर स्ट्रिक्स पिंक सिटी साथ ही उन भयानक बीस मिनिट का ब्योरा पेश किया है ।

भोपाल का एक अन्य हिन्दी प्रमुख समाचार पत्र राज एक्सप्रेस ने लिखा अमंगल गुलाबी शहर पर आतंकी कहर , हुजी और लश्कर पर नजर साथ ही ये भी लिखा है आठ धमाके सौ मरेदैनिक भास्कर ने अपने कार्पोरेट सिटी के एडिशन का पुरा फ्रंट पेज जयपुर के हमले को समर्पित किया पेज दो पर भोपाल मे भोपाल का हाय अलर्ट के अलावा एक और पेज पन्द्रह पुरा जयपुर को केंद्रित किया वहा बताया गुलाबी नगर में धमाकों का कहर कम्पलीट कवरेज में भरपूर फोटो और ग्राफिक्स का प्रयोग किया है।
दैनिक हिंदुस्तान लिखता है कि पंद्रह मिनट के भीतर एक के बाद एक आठ बम धमाकों में लगभग 75 लोग मारे गए हैं जबकि 150 से अधिक घायल हुए हैं।इसी ख़बर के साथ अख़बार ने सुर्खी लगाई है - निशाने पर हैं परमाणु और तेल ठिकाने भी। इसमें कहा गया है कि 'आतंकवादी' संगठनों की ओर से परमाणु केंद्रों, तेल शोधक संयंत्रों, रक्षा प्रतिष्ठानों, बंदरगाहों, हवाई अड्डों, बांधों, आईटी केंद्रों के अलावा टाटा और रिलायंस जैसे प्रतिष्ठित निजी औद्योगिक संस्थानों को निशाना बनाने की ख़ुफ़िया सूचना है। इसके मद्देनज़र सोमवार को फौरी बैठक बुलाकर इनकी सुरक्षा को पुख़्ता किए जाने पर विचार किया गया ।
नवभारत टाइम्स की सुर्खी है - धमाकों से पिंक सिटी हुआ लाल। अख़बार लिखता है कि आंतकवादियों ने जयपुर को निशाना बनाकर अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मैप पर इसे नुकसान पहुँचाने की कोशिश की है, जिस तरह मंदिर को निशाना बनाया गया, उसके पीछे माहौल बिगाड़ने की साजिश नज़र आती है ।
दैनिक जागरण का बैनर हेडलाइन है - गुलाबी नगरी खून से लाल, 70 मरे। अख़बार लिखता है कि धमाकों में लश्कर का हाथ होने की संभावना है।

टाइम्स ऑफ इंडिया का शीर्षक है- एंड नाऊ, इट्स जयपुर. अख़बार ने मृतकों की संख्या 80 बताई है. इस रिपोर्ट में धमाकों की तुलना मालेगाँव में हुए विस्फोटों से की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक जिस तरह मालेगाँव में साइकल पर रखे बमों में धमाके किए गए, उसी तरह जयपुर में भी अधिकांश धमाके साइकल बम के ज़रिए किए गए.


Monday, May 12, 2008

‘जोधाणो नित रौ भलो’

मैं थार मरुस्थल का स्वर्णिम द्वार विश्व विख्यात जोधपुर हूं। राजनीति की सीमित शब्दावली में मारवाड़ की राजधानी किंतु मेरी सौम्य भाषा, आत्मीय आचरण, शालीन परिधान, गरिष्ठ व्यंजन, शास्त्रीय एवं लोक ललित कलाओं के सम्मोहन से राजस्थान की सभी पूर्व रियासतों के लोग देश विदेश में मारवाड़ी कहलाते हैं।
मैं राजस्थान की संस्कृति का मानक (स्टैंडर्ड) स्वरूप हूं। जोधपुर का नाम लेते ही विश्व के मानस पटल पर भव्य एवं दिव्य संस्कृति की छवि चित्रांकित हो जाती है। उन्नत उत्तुंग मेहरानगढ़ दुर्ग, आंगन में केसरिया बालम पधारो म्हारे देस की स्वर लहरियां।
साढ़े पांच सौ वर्ष पूर्व प्राचीन राजधानी मंडोर को विजित करने की घोर संघर्ष मय प्रक्रिया में राव जोधाजी ने एक जाटनी की कुटिया में थाली के बीच खीच खाने में हाथ जल जाने तथा जाटनी के उपदेश से वर्तमान पचेटिया पहाड़ी पर दुर्ग बनाया गया। (जोधपुर बसाया)
तभी से मैंने अनेक उत्थान पतन के दृश्य देखे हैं। चाहे राजाराम मेघवाल की बलि हो या चिड़ियानाथजी का अभिशाप। दिल्ली के हुमायूं मेरी सीमा से पलायन कर गए। शेरशाह सूरी तो ‘मुट्ठी भर बाजरे के लिए दिल्ली की सल्तनत खोने’ के भय से मेरी सरहद से लौट गए।
महाराजा जसवंतसिंह की मृत्यु के पश्चात औरंगजेब ने मुझ पर कब्जा किया मगर वीर दुर्गादास राठौड़ ने विलक्षण शौर्य से मुझे उन्मुक्त कराया। राजा मानसिंह के समय मैंने फिर पराजय देखी मगर प्रखर शौर्य, अनन्य राष्ट्र भक्ति, मरुभूमि से जन्मी शाश्वत मौलिक संस्कृति के कारण मेरा सतत विकास होता रहा। पर्वत श्रंखलाओं की घाटियों को चीर कर पूरा शहर बसाया गया। दुर्भिक्षों की श्रंखला से बचने दो सौ से अधिक जल स्रोतों का निर्माण किया गया।
सुरक्षित एवं शांतिप्रिय वातावरण वास्तुकला, चित्रकला के साथ विभिन्न लोक एवं कुटीर कलाएं पनपती रहीं। मेरी भाषा मंगलमय हो गई। नये-नये व्यंजनों का आविष्कार हुआ। भक्ति रस की धाराएं उमड़ने लगीं। हथाइयां जमने लगीं। शिक्षा का तीव्र गति से विस्तार हुआ और स्वतंत्रता के लिए व्यापक सत्याग्रह शुरू हुआ।
विश्व के सभी क्षेत्रों में मेरे जोधपुरी मिलेंगे जो आज भी मौलिक संस्कृति से जुड़े हैं। जोधपुर का सामान्य नागरिक भी सिर्फ सामाजिक प्राणी नहीं है। संस्कृति का साधक है। सांप्रदायिक सामंजस्य भाईचारा से आगे रक्त संबंधों जैसा है। पाकिस्तान बना तो सर्वाधिक शांति जोधपुर में रही।
जब 1965 में पाकिस्तान ने दो सौ बम गिराए, 1971 में भी हवाई हमले हुए मगर मैं वीरान नहीं हुआ, अब तो पच्चीस गुणा अधिक बस गया हूं। मेरी चारदीवारी से बाहर दस-दस किलोमीटर तक मकान बनाने की जमीन नहीं रही। मेरे आंगन की सभी जातियां संपन्न और प्रबुद्ध हैं।
मेरी कुछ अपेक्षाएं हैं। यहां तेल शोधक संयंत्र, गैस आधारित विशाल विद्युत उत्पादन केंद्र, केंद्रीय विश्वविद्यालय, मरुस्थल को रोकेने के लिए राष्ट्रीय मरु विकास प्राधिकरण, अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा बने। कभी राणीसर पदमसर ओवर फ्लो होते तो लोग सरिता से जल प्रवाह की पूजा करते। अब सीवरेज लाइन से दलदल उफनता है। नई गटर लाइनें बननी तथा पेयजल के विशाल फिल्टर हाउस बनाने अनिवार्य।
मुझे चारदीवारी के भीतर ‘हेरिटेज सिटी’ घोषित किया जाए, वहां नवनिर्माण न हो, शहर के बाहर बिना भूतल पार्किग के बहुमंजिली इमारतें न बनें। मैं हथाइयों, धींगा गवर व गणगौर मेले का सौम्य उत्सवप्रिय नगर हूं। मुझे भीड़तंत्र में न कुचला जाए। आज भी विदेशी मेरे परिवेश को देख कर चमत्कृत होते हैं। मेरा पर्यावरण न बदला जाए ताकि मैं शताब्दियों तक संस्कृति का तीर्थ रहूं। लोग कहते रहें ‘जोधाणो नित रो भलो।’

-लक्ष्मीकांत जोशी सोजन्य डीबी

Sunday, May 4, 2008

मनोज गुरु भी लिखने लगे ब्लाग




कल की बात है ,


मैं कम्प्यूटर पर उदयपुर के ब्लॉग सर्च करने में लगा था तभी मन में एक खुराफात आई तो मैंने सर्च टोपिक विंडो में मनोज लोढा लिख दिया। जनाब होना क्या था कम्प्यूटर कभी झूठ नहीं बोलता है बहती उसने बिना किसी देर के चार पांच लिंक बता दिए ।


अब बताने वाली बात ये है की मनोज सर ने भी अपना ब्लॉग बनाया था इस ब्लॉग पर हालांकि एक ही पोस्ट्स था मगर बनाया तो था उम्मीद है की ये आगे जारी रहेगा


सुरजपोल नाम का ये ब्लॉग एक दिसम्बर दो हजार सात को बनाया गया ।