Monday, April 28, 2008

महाराणा प्रताप अकबर की अधीनता पर

एक लोककथा के मुताबिक प्रसिद्धि है कि जब बीकानेर के राजारायसिंह के छोटे भाई पृथ्वीराज को पता चला कि महाराणा प्रताप अकबर की अधीनता स्वीकार कर रहे है। तो उनसे रहा नही गया और उन्होंने राणा प्रताप को लिखा -

पाताल जो पातशाहबोले मुख हुन्तान बयन

मिहर पछम दिस मांह , उगे कासप राव उत । ।

पतकुं मुन्छां पाण , कै पतकुं निज तन करद

दीजे लिख दीवान , इस दो महली बात इक । ।

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