Monday, April 28, 2008

महाराणा प्रताप अकबर की अधीनता पर

एक लोककथा के मुताबिक प्रसिद्धि है कि जब बीकानेर के राजारायसिंह के छोटे भाई पृथ्वीराज को पता चला कि महाराणा प्रताप अकबर की अधीनता स्वीकार कर रहे है। तो उनसे रहा नही गया और उन्होंने राणा प्रताप को लिखा -

पाताल जो पातशाहबोले मुख हुन्तान बयन

मिहर पछम दिस मांह , उगे कासप राव उत । ।

पतकुं मुन्छां पाण , कै पतकुं निज तन करद

दीजे लिख दीवान , इस दो महली बात इक । ।

स्वतंत्रता का अधिकारी

यज्ञ अनल सा धधक रहा था वह स्वतंत्र अधिकारी
रोम रोम से निकल रही थी चमक चमक चिंगारी ।
अपना सब कुछ लोटा दिया जननी पद नेह लगाकर
कलित कीर्ति फैला दी है निद्रित मेवाड़ जगाकर ।
महाराणा प्रताप के बारे में
श्याम नारायण पाण्डेय

Wednesday, April 23, 2008

महारण प्रताप री मृत्यु पर अकबर बादशाह री भावना उन्नीस जनवरी पन्द्रह सौ सतानवे मे जब राणा प्रताप रो स्वर्गवास होयो तो इन मौका पे दुरसा चारण महाराणा प्रताप पे एक कविता बांच टू सब दरबारी यो ही समज्याँ के अबे दुर्सा की मौत है पण अकबर उंने पाछो बंच्वा रा वास्ते कह्यो वीं इन मारवाडी छप्पन ने पाछो बाँच्यो

- अस लेगा अन दाग , पाग लेगो अन नामीगो

आड़ा गव्डाय जिकों बेह्तो धुर बामी

नवरोजे नह गयो नगो आतशा नवली

न गो झरोखा हेठ जेठ दुनिया दह्ल्ली

गहलोत राणा जीत गयो , दशन मूंद रसना डसी

iishaas
iishaas मूक भरिया नयन तो मृत शाह प्रताप सी ।


महाराणा प्रताप पे किताबा री बात

प्रसंग -
जद आमेर रा राजकुंवर राणा प्रताप रा वास्ते बादशाह अकबर रो संदेशो लाया
तो उन रो भी उदेपुर मे सत्कार होयो पण जब राणा झील री पाल पे उनकी बात नि मान्या
तो विं ताव मे आय अर कह्यो
राणा सों भोजन समय , गही मान यह बान । हम क्यों जैंवे आपहू , जेवंत हो किन आन । कुंवर आप आरो गीये , राणा भख्यो हेरि । मोहि गरानी कछु , अबे जेइहू फेरी ।
कही घरानी की कुंवर , भई गरानी जोही ।
अटक नही कर देउंगो , तरन चूरण तोही ।
दियो ठेलि कांसो कंवर , उठे सहित निज साथ ।
चुलू आन भरी हाँ कह्यो , पौंछ रुमालन हाथ ।

या बात महाराणा प्रताप पे डा भवान सिंह राणा की किताब री बात,
काले दूजी बात होएली ।
जे राणा प्रताप जे मेवाड़

Tuesday, April 22, 2008

एह्ड़ा पूत जन

माई एह्ड़ा पूत जन जेड़ा राणा प्रताप

अकबर सुतो ओझके जान सिराहने सांप

Monday, April 21, 2008

यो महरी जनिती मायाड भाषा ने म्हारो प्रणाम है

या म्हारी जुबान री पहेला बोंला ने म्हारो सलाम है
आजम्हारी तुतलाती आवाज है पण ऊ ने मेरा राम राम है