Wednesday, April 23, 2008

महाराणा प्रताप पे किताबा री बात

प्रसंग -
जद आमेर रा राजकुंवर राणा प्रताप रा वास्ते बादशाह अकबर रो संदेशो लाया
तो उन रो भी उदेपुर मे सत्कार होयो पण जब राणा झील री पाल पे उनकी बात नि मान्या
तो विं ताव मे आय अर कह्यो
राणा सों भोजन समय , गही मान यह बान । हम क्यों जैंवे आपहू , जेवंत हो किन आन । कुंवर आप आरो गीये , राणा भख्यो हेरि । मोहि गरानी कछु , अबे जेइहू फेरी ।
कही घरानी की कुंवर , भई गरानी जोही ।
अटक नही कर देउंगो , तरन चूरण तोही ।
दियो ठेलि कांसो कंवर , उठे सहित निज साथ ।
चुलू आन भरी हाँ कह्यो , पौंछ रुमालन हाथ ।

या बात महाराणा प्रताप पे डा भवान सिंह राणा की किताब री बात,
काले दूजी बात होएली ।
जे राणा प्रताप जे मेवाड़

No comments: